शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016

दिन दहाड़े छत पर चोदा भाभी को (3)

मैंने कहा, डार्लिंग मुझे पता है की तुझे बहुत टाइम से चोदा नहीं गया हैं. लेकिन आज तेरे सब ख्वाब पुरे कर दूंगा.

जल्दी करो, मेरी ननंद आ जाए उसके पहले.

मैं जान गया की भाभी को जल्दी ही चोदना पड़ेगा क्यूंकि उसकी ननंद के आने का वक्त हो चला था..

भाभी ने अपने हाथ से अपनी नाईटी को ऊपर किया. धुप सख्त थी इसलिए हम दिवार के करीब आ गए. फिर मैंने भाभी की झांट से भरी हुई चूत को टच किया. भाभी के मुहं से सिसकी निकल पड़ी. मैंने अपने लंड को तौलिये को हटा के आजाद कर दिया. भाभी ने अपने हाथ को आगे कर के लंड को पकड़ा और बोली, बहुत बड़ा हैं तुम्हारा तो. कितनो को चोदा हैं इस से?

मैंने जूठ बोलते हुए कहा, बस आप से पहले एक को ही चोदा हैं, जिसे मैं प्यार करता था!

भाभी हंस पड़ी और मैंने अपने लंड को चूत के छेद पर लगा दिया. दोपहर की गर्मी के बिच में जब मैंने अपना लंड भाभी की चूत में रगडा तो हम दोनों ही पसीने से नाहा रहे थे. भाभी को मैंने वही छत पर चोदा और वादे के मुताबिक़ माल चूत में नहीं निकाला.

फिर हम दोनों निचे आ गए और मैं फिर से नहाने चला गया. भाभी की ननंद टिफिन ले के गई और मैंने एक बार फीर से भाभी को चोदा. भाभी की चुदाई का सिलसिला जो उस दिन से स्टार्ट हुआ हैं की आजतक भी चालु हैं. मैं जब भी चांस मिले और बूढ़ा रुकावट न डाले तो भाभी को चोदता हूँ. वो भी खुश हैं और मैं भी.

दिन दहाड़े छत पर चोदा भाभी को (1)

दोस्तों मेरा नाम अनिकेत सिंह हैं और मैं लुधियाना का रहनेवाला हूँ. वैसे मैं अपनी इंजिनियरिंग की पढाई के लिए पिछले २ सालों से दिल्ली में ही हूँ. और आज की यह हिंदी सेक्स स्टोरी भी दिल्ली में हुए एक सच्चे और हॉट हादसे की ही हैं. आज मैं आप को बताऊंगा की कैसे मैं दोपहर को एक भाभी को चोदा था वो भी छत के ऊपर.

उस भाभी का नाम कुलवंत कौर था और वो मेरे मकानमालिक बिट्टू सिंह की बहु थी. उसका पति दलेर काफी सालों से लंदन में था और उस भाभी की हरियाली चूत को सुखा करने के लिए उसे पीछे छोड़ के गया था वो. भाभी कलवंत के रूप के बारे में बताऊ तो वो एक २५ साल के करीब की हॉट औरत हैं. उसके फिगर का नाप कुछ ३२-३०-३४ का होगा. उसकी गांड देखने से बनती हैं और आँखे भी शराब की प्याली के जैसी हैं उसकी. दलेर सिंह पैसे कमा रहा था लेकिन इस यौवन के प्याले को पीछे छोड़ के गया था मेरे जैसे सेक्स पारखू के लिए. पहले दिन से ही मेरा दिमाग इस भाभी की चूत के गुलाबजामुन को खाने के लिए मचल रहा था. लेकिन बुढा बिट्टू सिंह डेढ़साना था. वो जानता था की दिल्ली में इंजीनियरिंग करने वाले लौंडे कितने खतरनाक होते हैं. वो कभी भी भाभी को मेरे करीब आने नहीं देता था.

और फिर मेरी किस्मत से एक बार इस बूढ़े को टाइफोइड हुआ और उसे अस्पताल में भरती किया गया. भाभी की ननंद जो दिल्ली में ही रहती हैं वो यहाँ आ गई. भाभी टिफिन बनाती थी और उसकी ननंद लाडो हॉस्पिटल में रहती थी बूढ़े के पास. इस बिच में मैं भी चांस मार रहा था भाभी के ऊपर. वो कम ही बोलती थी.

एक दिन जब वो खाना पका रही थी तो मैं नहाने के लिए बाथरूम में घुसा. जानबूझ के तौलिया मैंने नहीं लिया था और कपडे भी बहार सोफे पर ही रख के मैं अन्दर चला गया. कुछ देर तक लंड को साबुन लगा लगा के मैंने खड़ा किया और फिर भाभी को आवाज लगाईं.

भाभी प्लीज़ मेरे कपडे देंगे मैं भूल गया हूँ.

आई, रोटी उतार के.

एक मिनिट में जब वो आई तो मैंने उसके कदमो की आवाज महसूस की. मैंने लंड पर दो हाथ और मारे और उसे टाईट किया. भाभी ने बाथरूम के दरवाजे पर कपडे और तौलिया रखा, और तभी मैंने अपना प्लान अमम में रख दिया. मैंने पाँव फिसलने की एक्टिंग की और दरवाजे पर अपनी आधी बोड़ी को धकेल दिया. दरवाजा खुल गया और मैं लड़खड़ाने की एक्टिंग कर रहा था. कलवंत भाभी की नजर ना चाहते हुए भी मेरे कसे हुए लंड पर आ गई. वो उसे सब कुछ भूल के देख रही थी. मैं खड़ा हुआ और भाभी के हाथ से कपडे लिए और लंड को ढंक लिया. भाभी तब होश में आई और हंस पड़ी.

मैंने कहा क्या हुआ?

भाभी कुछ नहीं बोली और वो किचन की और चली गई. मैं तौलिया लपेट के ही उसके पीछे चला गया. तौलिये में भी मेरा लंड अपना अकार बनाये हुए था. किचन में भाभी ने मुझे और मेरे कसे हुए लंड को तिरछी नजर से देखा और चुपचाप रोटी सकने लगी, मेरा लौड़ा बौखला गया था. मेरे सामने भाभी की गांड थी जो नाइटी में एकदम मादक लग रही थी. अन्दर उसने पेंटी नहीं पहनी थी इसलिए गांड की फांक में कपडा घुसा हुआ था. अब आप तो जानते ही है की यह सिन कितना मादक होता हैं. मैं भाभी के पास गया तो वो फट से मेरी और मुड गई. मैंने देखा की उसकी साँसे फूली हुई थी. मैं अपने चहरे को उसके करीब ले गया तो उसने आँखे बंध कर दी. मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चहरे को पकड लिया और अपने होंठो को उसके होंठो पर लगा दिया. भाभी ने मेरे सर को अपनी तरफ खिंचा और किस देने लगी, हमारे होंठ एक दुसरे से जुड़ चुके थे और भाभी किस साँसों की खुसबू से मेरा लोडा और भी टाईट हो गया. वो भाभी के पेट पर चुभा भी होगा.

मैंने हाथ आगे किया और भाभी के पेट पर रख दिया. फिर धीरे धीरे कर के हाथ को बूब्स की तरफ बढ़ा दिया. वो साँसे बढ़ा चुकी थी और मेरे हाथ को उसने पकड लिया. मैंने जबरन उसके बूब्स पकडे और दबा दिए. बाप से इस भाभी को काफी दिनों से चोदा नहीं गया था और वो बेताब थी.

लेकिन फिर पता नहीं उसे क्या हुआ की उसने मुझे धक्का दे दिया और वहां से हट गई. वो छत की तरफ गई. मैं भी सीडियां चढ़ के ऊपर गया. ऊपर मस्त धुप थी, भाभी सुखाये हुए कपडे लेने लगी तो मैंने पीछे से उसे पकड लिया.

भाभी ने कहा, यह गलत हैं.

मैंने कहा, मैं आप को प्यार करता हूँ भाभी, इसमें क्या गलत हैं.

मैं शादीसुदा हूँ.

लेकिन आप अकेली भी हैं और मुझसे यह देखा नहीं जाता हैं.

कही कुछ अनर्थ हो गया तो.

मैं अन्दर नहीं निकालूँगा आप के, फिर तो कुछ नहीं होगा न.

नहीं नहीं, यह गलत हैं.

मेरी आँखों में आँखे डाल के कहिये की आप मुझसे प्यार नहीं करती हैं. और आप मेरे साथ ख़ुशी के दो चार पल बांटना नहीं चाहती हैं, आइने फ़िल्मी स्टाइल में डायलोग बोल दिया.

और साला यह डायलोग काम कर गया. भाभी ने मुझे गले से लगा लीया और मैंने उसकी गांड पर हाथ रख दिया. मैं धीरे से उसकी नाइटी को हटा के गांड की फांक को खोलने लगा था

सोमवार, 1 फ़रवरी 2016

बहन ने लंड में तबाही मचा दी(2)

फिर आख़िरकार वो दिन आ ही गया जब मुझे उसकी चूत के दर्शन करने का मौका मिल गया, क्योंकि उस दिन उसके मम्मी पापा और मेरे घर वाले पास वाले शहर में किसी के घर पर जागरण में चले गये और दीपा को मेरे साथ मेरे घर पर छोड़ गये। मेरे दिल में तो अब लड्डू फूटने लगे, तब सर्दियों के दिन थे और में सोफे पर बैठकर टीवी पर क्रिकेट मैच देख रहा था। तभी कुछ देर के बाद अचानक लाईट चली गई और उस समय मैच बहुत मजेदार चल रहा था तो मुझसे रहा नहीं गया और मेंने अपने लॅपटॉप पर मैच लगा लिया। वो मेरे पास आकर खड़ी हो गई और फिर वो भी मैच देखने लगी और जब कुछ देर बाद मैंने उसकी तरफ देखा तो में कंट्रोल से बाहर हो गया। उसने नीले कलर की बिल्कुल टाईट टी-शर्ट और लोवर पहना हुआ था। वो उसमें क्या मस्त लग रही थी मेरा तो दिल कर रहा था कि उसके बूब्स को पकड़कर चूसकर सारा का सारा दूध पी लूँ और उन्हे नीबूं की तरह निचोड़ डालूं। तभी वो मुस्कुराते हुए मुझसे बोली कि मैच देख लो और अपना ध्यान मैच पर रखो मुझ पर नहीं। वो उस समय इतना कहते हुए थोड़ा मेरे पास बैठ गई और भी करीब आने लगी और फिर वो मुझसे बोली कि विभु मुझे यहाँ पर ठंड लग रही है, तुम अपना यह लेपटॉप बेड पर रख लो। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

फिर में उसके कहने से बेड पर आ गया और में अपने दोनों पैरों को कम्बल के अंदर करके बैठ गया। वो मेरे एक साईड में बैठी हुई थी और थोड़ी दूरी पर थी जिसकी वजह से उसे लॅपटॉप सही ढंग से नहीं दिख रहा था। वो मुझसे बोली कि लेपटॉप को थोड़ा इधर कर लो और मैंने वैसा ही किया। में अब उसकी साईड में और उसके बिल्कुल पास बैठ गया और कंबल में पूरा घुसा हुआ था, लेकिन अब मेरा पूरा ध्यान मैच से बिल्कुल हट चुका था और में धीरे धीरे अपने एक पैर से उसके पैर को रगड़ने लगा और मैंने एक पैर उसके पैर पर रख दिया, लेकिन उसने कोई विरोध नहीं किया में समझ गया था कि उसे भी अब इस सर्दी में गरमाहट चाहिए और फिर मैंने अपना एक हाथ भी कंबल में घुसा दिया और एक साईड से उसकी हल्के से गांड को छूने लगा, लेकिन वो फिर भी मुझसे कुछ भी नहीं बोली और इतनी देर में मैच ख़त्म हो गया, लेकिन उसका ध्यान कहीं और था। तो कुछ देर के बाद वो बोली कि तुम्हारी गर्लफ्रेंड का क्या नाम है? में अब लगातार धीरे धीरे उसकी गांड पर हाथ फेरता रहा और उससे बोला कि कोई है ही नहीं। तो वो झट से बोली कि ऐसा हो ही नहीं सकता और ऐसे ही हम गर्लफ्रेंड के बारे में बातें करते रहे। तभी मैंने धीरे धीरे अपने हाथ की जगह चेंज कर दी और अपने हाथ को उसके लोवर के ऊपर से ही उसकी चूत के पास ले गया। वो मुझसे बोली कि विभु यह क्या कर रहे हो? क्या तुम्हे शर्म नहीं आती, में तुम्हारी बहन हूँ? तो में बोला कि मैंने ऐसा क्या किया है? तो वो बोली कि अब तुम ज़्यादा चालाक मत बनो, तुम्हारा हाथ कहाँ पर है? तो मैंने कहा कि मेरा हाथ यहीं पर है और मैंने अपना हाथ थोड़ा और टाईट कर लिया। तभी वो मेरा हाथ पकड़कर छुड़ाने लगी और बोली कि यह है तुम्हारा हाथ। तो में बोला कि तो क्या हुआ? तुम मेरी बहन हो इसलिए हम दोनों एक दूसरे की बातें तो जान सकते है। वो बोली कि यह बात बिल्कुल गलत है। भाई बहन में कभी भी ऐसा नहीं होता। में उसे अब मनाने लगा, लेकिन वो नहीं मान रही थी तो मैंने उससे कहा कि चलो अगर तुम मुझे अपना अच्छा भाई मानती तो प्लीज मुझे एक बार अपना शरीर दिखा दो। वो लगातार ना ना कर रही थी तो मैंने उसे अपनी कसम देकर एक बार दिखाने को बोला तो वो मान गई और मुझसे बोली कि में सिर्फ़ एक बार ही तुम्हे दिखाउंगी और फिर वो अपनी टी-शर्ट के ऊपर के बटन खोलने लगी। तभी मैंने उसे रोक दिया और वो अचानक से रुक गई और मेरी तरफ देखने लगी। मैंने उससे कहा कि तुम रहने दो में खुद ही खोल लूँगा और फिर मैंने धीरे धीरे बटन खोलकर उसके ऊपर का हिस्सा उतार दिया। वो गुलाबी कलर की ब्रा में थी और उस पर फूलों की डिजाईन बनी हुई थी। में उससे बोला कि मुझसे अच्छे तो यह फूल ही है, कम से कम तुम्हारी ब्रा से तो चिपके हुए है। तो वो हँसने लगी और मैंने सही मौका देखकर उसके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही पकड़ लिया। तो वो बोली कि मैंने सिर्फ़ देखने को कहा था छूने को नहीं। तो मैंने कहा कि प्लीज मुझे छूने दो, पक्का में सेक्स नहीं करूंगा और फिर मैंने उसे विश्वास दिलाया कि सेक्स नहीं करूंगा।

बहन ने लंड में तबाही मचा दी (1)

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम विभोर है और मेरी उम्र 21 साल है। में दिखने में बिल्कुल ठीक ठाक हूँ। दोस्तों आज में आप सभी को अपनी एक सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ जो मेरे जीवन का पहला सेक्स अनुभव है और जिसमें मैंने अपनी बहन को चोदा। दोस्तों में उस समय में गावं में अपने दादा दादी के साथ रहा करता था, क्योंकि मेरे माता पिता उस समय बाहर विदेश में रहते थे। दोस्तों जैसा कि आप सभी को पता है कि शहर में बहुत सारे रिश्तेदार होते है और ऐसे ही मेरे एक दूर के रिश्ते से ताऊजी थे, उनकी एक बेटी और बेटा था, उस बेटी का नाम दीपा जो कि मुझसे उम्र में थोड़ी बड़ी थी और लड़का राहुल जो मेरी ही उम्र का था और अब राहुल भी बाहर विदेश में अपनी पढ़ाई कर रहा है और पिछले कुछ सालों से वहीं पर रहने लगा था। में उस समय अपनी कॉलेज की पढ़ाई के लिए शहर पढ़ने गया हुआ था।

दोस्तों असली कहानी यहाँ से शुरू होती है और जब में शहर में अपनी पढ़ाई पूरी करने आया तो अपने सभी रिश्तेदार से मिला और तब मैंने दीपा को वहां पर देखा तो में बिल्कुल चकित रह गया। उसके बूब्स बहुत बाहर आ चुके थे और बहुत मोटे मोटे दिखाई दे रहे थे। में तो उसे देखता ही रह गया, शायद उसने भी इस बात पर गौर कर लिया था। वो बोली कि तेरा ध्यान कहाँ है? तो मैंने कहा कि कहीं नहीं और ऐसे ही बहुत दिन गुज़र गये और फिर एक दिन में अपने पास के शहर से अपनी कार में वापस घर आ रहा था तो अचानक मुझे रोड पर दीपा और उसकी माँ और उसकी दो पड़ोसने दिखाई दी। फिर मैंने अपनी गाड़ी रोककर उनसे पूछा कि क्यों घर जाना है तो वो बोली कि हाँ भगवान का शुक्र है कि तुम मिल गये वर्ना हम पैदल ही घर जाते, क्योंकि इस जगह से हमें कोई साधन भी नहीं मिलता और फिर दीपा फटाफट से पिछली सीट पर बैठ गई। तभी उसकी माँ बोली कि दीपा तू आगे बैठ जा हम तीनों पीछे बैठते है और में पीछे की तरफ मुहं करके देखने लगा। वो अंदर से ही आगे वाली सीट पर आने लगी तो उसका एक बूब्स कपड़ो से बाहर आकर मेरे मुहं पर लगा और उसने उस समय काले कलर का सूट पहना हुआ था जो कि बहुत टाईट था और जब उसने आगे आने को अपनी एक टाँग फैलाई तो मुझे उसके पैरों के बीच में बहुत सारा पसीना आया हुआ दिखाई दिया, वो बिल्कुल गीली थी और फिर में झट से समझ गया था कि उसने उस समय पेंटी नहीं पहनी हुई थी।

फिर वो आगे आकर बैठ गई और उसकी माँ और वो दोनों औरतें बातों में एकदम मस्त थी और में उसके साथ बातें कर रहा था और बार बार उसके बूब्स को देख रहा था। तभी वो मुझसे मुस्कुराती हुई बोली कि लगता है कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है? तो मैंने कहा कि हाँ नहीं है और फिर वो बोली कि हाँ तभी तो हमेशा इतने परेशान रहते हो। दोस्तों मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया कि उसने मुझसे क्या यह सब क्यों कहा? और जब वो गाड़ी से उतरकर जाने लगी तो उसकी मटकती हुई गांड को देखकर मुझे बहुत जोश चड़ गया और मैंने घर पर पहुँचते ही बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा और फिर मैंने दो बार लगातार मुठ मारी और सो गया। कुछ दिन ऐसे ही बीतते चले गये। फिर कुछ दिन के बाद मेरे ताऊ जी के घर पार्टी थी और उस समय मेरे दादा दादी जी भी उस समारोह में शामिल होने के लिए घर पर आ गये और में उनके साथ घर पर चला गया। जब में अपने ताऊ जी के रूम में पहुँचा तो मैंने देखा कि वहां पर दीपा तैयार हो रही थी। तभी वो डरकर अचानक से मेरी तरफ मुड़ी और बोली कि क्या यार विभु तुम हो? तो मैंने कहा कि हाँ में हूँ अगर तुम्हे कोई काम हो तो बताओ में करवा दूँगा। तो वो बोली कि हाँ सबसे पहले तुम यह मेरे ब्लाउज का हुक लगा दो, ये थोड़ा टाईट है। फिर दोस्तों जब में हुक लगाने लगा तो मुझे पता चला कि वो थोड़ा नहीं बहुत ज़्यादा टाईट था। फिर में उससे बोला कि तुम भी मेरी हेल्प करो यह ब्लाउज सच में बहुत टाईट है और फिर उसने अपने बूब्स मेरे सामने ब्लाउज में एक हाथ डालकर सेट करते हुए ब्लाउज को थोड़ा सरकाया जिसे देखकर मेरा तो लंड पेंट को फाड़कर बाहर आने को था और यह सब उसने तैयार होते हुए देख लिया था और फिर हम पार्टी में डांस करने लगे तो उसने मेरा हाथ पकड़कर मेरे साथ डांस किया और सबके सामने यह प्रदर्शित किया कि हम भाई बहन है, लेकिन दोस्तों मुझे उसका तो पता नहीं, लेकिन मेरे दिल में बहुत कुछ था और फिर उस दिन से हम दोनों फोन पर चेटिंग करने लगे थे, लेकिन ऐसे कि जैसे हम एक दूसरे के कोई दोस्त है।

बहन ने लंड में तबाही मचा दी(6)

फिर हम ऐसे ही नंगे फिर से एक बार जोश में आ गये और एक दूसरे से सांप की तरह लिपट गये। मेरा लंड एक बार फिर से उसके पैरों के बीच दस्तक देने लगा और मेरी बहन मुस्कुरा रही थी और मेरा लंड पकड़कर एक बार फिर से हिलाने लगी और कुछ देर के बाद मेरे लंड को मुहं में लेकर चूसने लगी और जब मैंने उसे लेटने के लिए कहा तो उसने कहा कि नीचे के लिए आज इतना ही बहुत है और बाकी बाद में। फिर उसने अपने गुलाबी होंठ मेरे लंड पर जकड़ दिए और चूसने लगी। में उसके बालों को पकड़कर पीछे करके उसको देखने लगा, वो बड़े मज़े से चूस रही थी और कभी कभी एक हाथ से अपने बूब्स को भी बॉल की तरह दबाती।  दोस्तों उस रात हम दोनों बिना कपड़ो के ही रहे और सारी रात सोए नहीं और जब हमारे घरवालों का आने का टाईम हुआ तो हम एक बार और चुदाई करके सब कुछ साफ करके सो गए। दोस्तों आज भी वो एक होस्टल में रहकर नर्सिंग की ट्रेनिंग कर रही है में जब भी वहां पर जाता हूँ तो एक पूरे दिन और रात हम होटल में एक दूसरे के साथ रहते है। मुझे आज भी उसकी चूत बहुत रसीली लगती है और उसे देखते ही मेरा दिल करता है कि उसे लगातार चाटता ही रहूँ ।।

धन्यवाद …

बहन ने लंड में तबाही मचा दी(5)

यह सारांश मौजूद नहीं है. कृपया पोस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें .

बहन ने लंड में तबाही मचा दी(4)

तो वो मान गई में फिर उसके लोवर की तरफ बढ़ा तो वो मुझसे बोली कि क्या इसको उतारना ज़रूरी है? तो मैंने कहा कि असली चीज़ तो यहीं पर है प्लीज उतारने दो और फिर झट से मैंने उसकी लोवर को उतार दिया उसने लाल कलर की पेंटी पहन रखी थी और अब वो ब्रा और पेंटी में क्या मस्त लग रही थी। ऐसे ही करते करते मैंने उसके एक कंधे से उसकी ब्रा को नीचे कर दिया और उसका एकदम सफेद बूब्स आधे से ज्यादा बाहर आ गया और उसने मुझे पकड़ लिया। मैंने उसके एक बूब्स को एक हाथ में लिया और दूसरा हाथ उसकी पेंटी में डाल दिया और उसकी चूत को पहली बार छूकर देखा। मेरे छूते ही वो बिल्कुल पागल हो गयी और उसने एकदम से पलटकर मुझे बिल्कुल टाईट पकड़ लिया और मुझे लिप किस करने लगी और सिसकियाँ लेने लगी। मुझे पता चल चुका था कि अब सब कुछ मेरे हाथ में या मेरे लंड में है। में उसकी चूत को पेंटी के अंदर ही बार बार छू रहा था और धीरे धीरे सहला रहा था। फिर में उसकी चूत के सामने आ गया और मैंने उसकी पेंटी को उतार दिया। दोस्तों वाह क्या जन्नत की तरह थी वो जगह उसकी चूत बिल्कुल साफ थी। मैंने उसे अपनी बाहों में लेकर लेटा दिया और उसकी चूत को छूने लगा। तो वो मुझसे कहने लगी कि प्लीज अब ऐसा मत करो मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है।

दोस्तों अब मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं गया और मैंने उसकी चूत के ऊपर मुहं रख दिया और उसे किस करने लगा इस वजह से वो बहुत ज़ोर से मचलने लगी जैसे बिन पानी के मछली तड़पती है वैसे ही तड़पने लगी और वो मेरा सर अपनी चूत पर दबा रही थी। मैंने उसके दोनों पैरों को फैला दिया और उसकी बैचेन चूत में अपनी जीभ को डाल दिया। वाह दोस्तों क्या मस्त अहसास था, पहली बार मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैंने ऐसी रसीली और मजेदार चीज़ कभी खाई ही नहीं। फिर कुछ देर ऐसे ही करते करते वो झड़ गई और उसकी चूत का पानी मेरी जीभ को लग गया वो बहुत अजीब से स्वाद का था, मैंने उसे थूक दिया। तो वो मुस्कराते हुए बड़ी संतुष्ट लगी, लेकिन में अभी भी ठंडा नहीं हुआ था और में हल्का सा उसके ऊपर आकर अपना लंड उसके दोनों बूब्स के बीच में दबा लिया और रगड़ने लगा। जब में लंड को आगे की तरफ ले जाता तो वो अपना मुहं खोलकर उसे अंदर ले लेती। फिर दीपा ने बोला कि में और अब नहीं रह सकती, प्लीज़ इसे नीचे डालो, मुझे बहुत अजीब सा कुछ कुछ हो रहा है। फिर मैंने भी अपने लंड को हाथ में ले लिया और दीपा की चूत के मुहं पर रगड़ने लगा। वो अब झटपटाने लगी और मुझसे लंड को अंदर डालने की भीख माँगने लगी। मैंने फिर से हल्का सा ज़ोर देकर अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के अंदर डाला तो उसकी एक बार आखें फट गयी। में थोड़ी सी देर बिल्कुल शांत हो गया और फिर दूसरे ही झटके में लंड को अंदर की तरफ पहुंचा दिया। उसके मुहं से बहुत ज़ोर से चीख निकल पड़ी और आँखो से आँसू। में फिर से थोड़ा नीचे की तरफ होकर उसके होंठो को चूसने लगा और उसके बूब्स को दबाने लगा और फिर मैंने सही मौका देखकर एक बार फिर से धक्का मार दिया और अब लंड बहुत अंदर जा चुका था और वो बार बार मुझसे से उसे बाहर निकालने के लिए कह रही थी, लेकिन में अब वहां से वापस नहीं लौट सकता था इसलिए मैंने थोड़ा सा रुककर मैंने फिर से एक आखरी झटके में अपना लंड जड़ तक दीपा की चूत में डाल दिया और वो दर्द से झटपटाने लगी और में फिर से नीचे झुककर उसको स्मूच करने लगा और बूब्स को दबाने लगा।

फिर थोड़ी देर बाद उसको भी दर्द खत्म होने के बाद जोश आ गया और धीरे धीरे से अपने कूल्हों को हिलाने लगी और में समझ गया कि अब शायद उसे भी मज़ा आने लगा है और फिर में भी हल्के हल्के झटके लगाने लगा। फिर वो कभी मुस्कुराती तो कभी एक रांड की तरह लंड का मज़ा लेते हुए स्माईल देती और अब मेरे भी धक्कों की स्पीड और भी तेज हो चुकी थी और मेरा लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था और अब मुझे लगा कि शायद वो झड़ने वाली है इसलिए मैंने धक्के और तेज कर दिए ताकि उसे और भी चुदाई के मज़े मिले और फिर उसका शरीर अकड़ने लगा और मेरी बहन मेरे लंड से चुदाई करवाती हुई झड़ गई। अब मैंने अपनी स्पीड को और भी बढ़ा दिया और चूत में बहुत गीलापन होने की वजह से फच फच की आवाजें आने लगी और अब मुझे भी लगने लगा कि शायद अब में भी झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपने धक्के और भी तेज कर दिए और 15-20 धक्कों के बाद में और दीपा एक साथ झड़ गये और थोड़ी देर तक हम दोनों एक साथ लेटे रहे और एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते रहे। मैंने ध्यान से देखा कि दीपा के बूब्स एकदम लाल हो चुके थे और उस पर मेरे हाथों के निशान भी साफ साफ नज़र आ रहे थे।

बहन ने लंड में तबाही मचा दी(3)

बहन ने लंड में तबाही मचा दी(3)

http://goo.gl/dAtVPN

बहन ने लंड में तबाही मचा दी (1)

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम विभोर है और मेरी उम्र 21 साल है। में दिखने में बिल्कुल ठीक ठाक हूँ। दोस्तों आज में आप सभी को अपनी एक सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ जो मेरे जीवन का पहला सेक्स अनुभव है और जिसमें मैंने अपनी बहन को चोदा। दोस्तों में उस समय में गावं में अपने दादा दादी के साथ रहा करता था, क्योंकि मेरे माता पिता उस समय बाहर विदेश में रहते थे। दोस्तों जैसा कि आप सभी को पता है कि शहर में बहुत सारे रिश्तेदार होते है और ऐसे ही मेरे एक दूर के रिश्ते से ताऊजी थे, उनकी एक बेटी और बेटा था, उस बेटी का नाम दीपा जो कि मुझसे उम्र में थोड़ी बड़ी थी और लड़का राहुल जो मेरी ही उम्र का था और अब राहुल भी बाहर विदेश में अपनी पढ़ाई कर रहा है और पिछले कुछ सालों से वहीं पर रहने लगा था। में उस समय अपनी कॉलेज की पढ़ाई के लिए शहर पढ़ने गया हुआ था।

दोस्तों असली कहानी यहाँ से शुरू होती है और जब में शहर में अपनी पढ़ाई पूरी करने आया तो अपने सभी रिश्तेदार से मिला और तब मैंने दीपा को वहां पर देखा तो में बिल्कुल चकित रह गया। उसके बूब्स बहुत बाहर आ चुके थे और बहुत मोटे मोटे दिखाई दे रहे थे। में तो उसे देखता ही रह गया, शायद उसने भी इस बात पर गौर कर लिया था। वो बोली कि तेरा ध्यान कहाँ है? तो मैंने कहा कि कहीं नहीं और ऐसे ही बहुत दिन गुज़र गये और फिर एक दिन में अपने पास के शहर से अपनी कार में वापस घर आ रहा था तो अचानक मुझे रोड पर दीपा और उसकी माँ और उसकी दो पड़ोसने दिखाई दी। फिर मैंने अपनी गाड़ी रोककर उनसे पूछा कि क्यों घर जाना है तो वो बोली कि हाँ भगवान का शुक्र है कि तुम मिल गये वर्ना हम पैदल ही घर जाते, क्योंकि इस जगह से हमें कोई साधन भी नहीं मिलता और फिर दीपा फटाफट से पिछली सीट पर बैठ गई। तभी उसकी माँ बोली कि दीपा तू आगे बैठ जा हम तीनों पीछे बैठते है और में पीछे की तरफ मुहं करके देखने लगा। वो अंदर से ही आगे वाली सीट पर आने लगी तो उसका एक बूब्स कपड़ो से बाहर आकर मेरे मुहं पर लगा और उसने उस समय काले कलर का सूट पहना हुआ था जो कि बहुत टाईट था और जब उसने आगे आने को अपनी एक टाँग फैलाई तो मुझे उसके पैरों के बीच में बहुत सारा पसीना आया हुआ दिखाई दिया, वो बिल्कुल गीली थी और फिर में झट से समझ गया था कि उसने उस समय पेंटी नहीं पहनी हुई थी।

फिर वो आगे आकर बैठ गई और उसकी माँ और वो दोनों औरतें बातों में एकदम मस्त थी और में उसके साथ बातें कर रहा था और बार बार उसके बूब्स को देख रहा था। तभी वो मुझसे मुस्कुराती हुई बोली कि लगता है कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है? तो मैंने कहा कि हाँ नहीं है और फिर वो बोली कि हाँ तभी तो हमेशा इतने परेशान रहते हो। दोस्तों मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया कि उसने मुझसे क्या यह सब क्यों कहा? और जब वो गाड़ी से उतरकर जाने लगी तो उसकी मटकती हुई गांड को देखकर मुझे बहुत जोश चड़ गया और मैंने घर पर पहुँचते ही बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा और फिर मैंने दो बार लगातार मुठ मारी और सो गया। कुछ दिन ऐसे ही बीतते चले गये। फिर कुछ दिन के बाद मेरे ताऊ जी के घर पार्टी थी और उस समय मेरे दादा दादी जी भी उस समारोह में शामिल होने के लिए घर पर आ गये और में उनके साथ घर पर चला गया। जब में अपने ताऊ जी के रूम में पहुँचा तो मैंने देखा कि वहां पर दीपा तैयार हो रही थी। तभी वो डरकर अचानक से मेरी तरफ मुड़ी और बोली कि क्या यार विभु तुम हो? तो मैंने कहा कि हाँ में हूँ अगर तुम्हे कोई काम हो तो बताओ में करवा दूँगा। तो वो बोली कि हाँ सबसे पहले तुम यह मेरे ब्लाउज का हुक लगा दो, ये थोड़ा टाईट है। फिर दोस्तों जब में हुक लगाने लगा तो मुझे पता चला कि वो थोड़ा नहीं बहुत ज़्यादा टाईट था। फिर में उससे बोला कि तुम भी मेरी हेल्प करो यह ब्लाउज सच में बहुत टाईट है और फिर उसने अपने बूब्स मेरे सामने ब्लाउज में एक हाथ डालकर सेट करते हुए ब्लाउज को थोड़ा सरकाया जिसे देखकर मेरा तो लंड पेंट को फाड़कर बाहर आने को था और यह सब उसने तैयार होते हुए देख लिया था और फिर हम पार्टी में डांस करने लगे तो उसने मेरा हाथ पकड़कर मेरे साथ डांस किया और सबके सामने यह प्रदर्शित किया कि हम भाई बहन है, लेकिन दोस्तों मुझे उसका तो पता नहीं, लेकिन मेरे दिल में बहुत कुछ था और फिर उस दिन से हम दोनों फोन पर चेटिंग करने लगे थे, लेकिन ऐसे कि जैसे हम एक दूसरे के कोई दोस्त है।